top of page

परसाली तीर्थ का इतिहास

🔱 पारसली तीर्थ: एक दिव्य इतिहास और वर्तमान गौरव

पारसली मध्य प्रदेश के मालवा आंचल का अति प्राचीन, चमत्कारिक एवं अलौकिक जैन तीर्थ है। यह मंदसौर जिले में, मुंबई-दिल्ली रेलवे लाइन शामगढ़ स्टेशन से 10 किमी पूर्व और नागेश्वर तीर्थ से मात्र 42 किमी दूर एक छोटा सा स्थित है।

🛕 मुख्य विशेषताएं:

  • यहां एक भी जैन श्रावक का घर नहीं है, फिर भी भव्य देवविमान सदृश जिनालय में भगवान आदिनाथ की दिव्य प्रतिमा सहित कुल 26 प्रतिमाएं स्थापित हैं।

  • मूलनायक भगवान आदिनाथ की 76.2 से.मी. उच्च पद्मासन प्रतिमा विक्रम संवत 688 (ई.एस. 631) में प्रतिष्ठित हुई। यह प्रतिमा धरती से स्वयं प्रकट हुई और किसी स्थान पर न हिलने के कारण प्रतिष्ठा बनी रही।

  • प्रतिमा के गले में हार व हाथों में तुलनीय शिलाएं ही उभर कर सामने आती हैं - जो अत्यंत दुर्लभ हैं।

🌼चमत्कार और व्याख्याएँ:

  • यह सिद्ध है कि जब कोई मोक्षगामी जीव तीर्थ आता है, तब वहां केसर वर्षा होती है - यह पारंपरिक परंपराओं से चली आ रही है।

  • इस तीर्थ के चारों ओर प्राकृतिक नदियों की झलक मिलती है।

  • पांच बार साध्य भाव से वंदना करने वाले को नरकगति नहीं मिलती - ऐसी जनश्रुति है।

  • यहां जल की कभी कमी नहीं होती।

🕉ऐतिहासिक घटनाएँ:

  1. वीएस 688/631 सीई - आदिनाथ भगवान की प्रतिष्ठा।

  2. 14वीं शताब्दी - तीर्थ की प्राचीनता के साक्ष्य साक्ष्य हैं।

  3. वी.एस. 1956/1899-1900 - घोर अकल्पनीय पुजारी को प्रतिदिन चांदी का असंतुलित होना।

  4. 1954 – पूज्य महोपाध्याय धर्मसागरजी म.सा. और पं. अभयसागरजी म.सा. गुरुकुल की स्थापना से प्रेरणा।

  5. 1969 - उपधान ताप की भव्य आराधना। बाद में एक बार फिर से टैप किया गया।

  6. नवपादजी की ओली एवं देशविरति समाज का सम्मेलन महोपाध्यायजी की निश्रा में।

  7. 2000 - अक्षय तृतीया पारणे की शुरुआत पू. सा. श्री अमितगुणाश्री जी की प्रेरणा से हुई।

    • उपाश्रय, भोजनशाला, कार्यालय निर्माण एवं जिनालय का जीर्णोद्धार आचार्य श्री हर्षसागर सूरीश्वरजी के निर्देशन में हुआ।

  8. 01 - 18 मार्च 2010 - अमी झराना चमत्कार (भगवान की छाती से अमृत जैसी धारा का बहना)।

📿 हाल की घटनाएँ: प्रतिष्ठा महोत्सव 2025

  • दिनांक: मार्च 2025

  • मार्गदर्शक: आचार्य पूज्य श्री जिन-हेमचन्द्रसागर सूरीश्वरजी म.सा.

🔸 प्रमुख समारोह:

  • प्रातः पूजन, भक्ति संगीत संध्या, दीपोत्सव जैसे कार्यक्रमों में हजारों अनुयायियों की भागीदारी।

  • पर्यावरण संरक्षण के अंतर्गत मौलिक अभियान।

  • सामाजिक सेवा - आर्किटेक्चर और नि:शुल्क चिकित्सा शिविर।

bottom of page